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… तो अब तक सिरमौर की तस्वीर ही कुछ और होती

हिमाचल प्रदेश की सत्ता में निर्णायक भूमिका अदा करने वाला सिरमौर आजादी के बाद लगातार हाशिए पर ही रहा है। हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत परमार भी जिला सिरमौर से ही ताल्लुक रखते थे लेकिन यहां चिराग तले अंधेरा वाली बात चरितार्थ होती है। इसे उस शख्स की सोच ही कहा जाए जिसने अपने गृह क्षेत्र को छोड़ विकास की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए अन्य जिलों को तवज्जो दी। लेकिन वर्तमान दौर में उस शख्स की उस कड़ी को किसी ने भी उतारने का प्रयास नहीं किया।

भेखानन्द वर्धन

भाग्य की विडंबना देखिए कि आज सिरमौर लगातार पिछड़ता जा रहा है। जिला के एक प्रबुद्ध नागरिक कहते है कि एक दौर था जब सिरमौर में अफीम की खेती की जाती थी। हर परिवार संपन्न था। औषधीय विज्ञान में अहम स्थान रखने वाली अफीम बेशक सामाजिक बुराई की ओर बढ़ रही थी। लेकिन देश को नशे की बुराई से मुक्त करवाने के जोश में भले ही तत्कालीन प्रतिनिधियों द्वारा प्रदेश से नशे की बुराई को जड़ से उखाडऩे का ऐलान कर दिया गया। परिणाम स्वरूप किसानों का गला घोंट कर अफीम की खेती पर प्रतिबंध लगाने से प्रदेश की आदर्शवादी छवि तो बनी लेकिन इसका खामियाजा आज तक सिरमौर की जनता को भुगतना पड़ रहा है। जिसके चलते सिरमौर बैकफुट पर चला गया।

खेत उजड़ गए, किसान बेहाल हो गए, नतीजा यह हुआ कि ऊपरी क्षेत्र को तो सेब मिला लेकिन सिरमौर के लिए अफीम रूपी काला सोना इतिहास बन कर रह गया। एक ओर जहां राजस्थान, महाराष्ट्र आदि में बकायदा लाइसेंस जारी कर अफीम की खेती हो रही है।

अब सवाल यह है कि क्या सिरमौर जिला में अफीम की खेती पर प्रतिबंध लगाना जरूरी था? यदि जरूरी था तो औषधीय प्रयोग के लिए भी परमिट जारी किए जाते तो आज आयुर्वेदिक उद्योगों की मांग की प्रतिपूर्ति के बहाने सिरमौर का कायाकल्प हुआ होता।

आज प्रदेश में सरकार द्वारा जन संजीवनी अभियान चलाया जा रहा है लेकिन सिरमौर की संजीवनी से लोगों को आज भी महरूम रखा जा रहा है। सरकार पॉलीहाउस जैसी योजनाएं चलाकर किसानों की हालत सुधारना चाहती है, लेकिन सिरमौर के किसानों की सुध कौन लेगा? सिरमौर से पहले अफीम गायब हुई फिर अदरक गायब होने लगा। प्राकृतिक रूप से पच्छाद क्षेत्र में उगने वाले जंगली अनार को न तो संरक्षण मिला और न ही इसके संवर्धन एवं विकास के लिए कोई शोध हुआ।

हालांकि इस जिला में एक बड़ा शोध संस्थान धौलाकुआं में है और दूसरा साथ लगते जिला सोलन के नौणी में है। लेकिन फिर भी इस जिला के लिए सरकार की नजरें इनायत नहीं हुई।