महाबलेश्वर है पहाड़ों की रानी

महाबलेश्वर को महाराष्ट्र के हिल स्टेशनों की रानी कहा जाता है। यही वजह है कि यह सैलानियों के बीच सबसे मशहूर और पसंदीदा हिल स्टेशन के तौर पर जाना जाता है। दूर-दूर तक फैली पहाडिय़ां और उन पर छिटकी हरियाली बेहद खूबसूरत और सुकून देने वाला नजारा पेश करती है।                                                       

कृष्णा नदी का उद्गम स्थल 

महाबलेश्वर सह्याद्रि पर्वत से निकलने वाली कृष्णा नदी का उद्गम स्थल भी है जो महाराष्ट्र के अलावा आंध्रप्रदेश से होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है। दरअसल कुदरत ने इस जगह को पानी, पहाड़, हरियाली, बादल सबको समेट कर बेपनाह खूबसूरती से नवाजा है। महाबलेश्वर में देखने के लिए लगभग तीस से ज्यादा खूबसूरत जगह है, जिनमें एलाफिस्टन, माजोरी, नाथकोट, बॉम्बे पार्लर, सावित्री प्वाइंट, आर्थर प्वाइंट, विल्स प्वाइंट, हेलन प्वाइंट, लाकविंग प्वाइंट, कर्निक प्वाइंट और फाकलेंट प्वाइंट बेहद मशहूर है। यहां नैसर्गिक सुंदरता के बेहद खूबसूरत और रोमांचक नजारे देखे जा सकते हैं।

महाबलेश्वर में लिंगमाला वॉटर फॉल, वेन्ना लेक, पुराना महाबलेश्वर मंदिर, मेहेर बाबा गुफाएं, रॉबर्स केव, कमलगर किला और हेरिसन फॉल भी देखने योग्य स्थल हैं। वेन्ना लेक तो बेहद खूबसूरत और आकर्षक झील है। यहां नौकायन और रंगबिरंगी मछलियों को पकडऩा, घुड़सवारी जैसी गतिविधियों सैलानियों को काफी पसंद आती है।  सैलानियों के लिए महाबलेश्वर में छुट्टियां बिताना बेहद मजेदार और रोमांचक अनुभव होता है। शायद इसलिए महाबलेश्वर ब्रिटिश काल में बॉम्बे प्रेसिडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था। अब भी यहां मोरारजी कैसल में ब्रिटिशकालीन आर्किटेक्चर की झलक साफ देखी जा सकती हैं। 

महाबलेश्वर में मोरारजी कैसल एक काफी पुराना स्ट्रक्चर है जो पर्यटकों को खूब लुभाता है। इस बिल्डिंग के आस-पास कुछ और भी औपनिवेशिक काल के स्ट्रक्चर मौजूद हैं जिनमें बॉम्बे प्रेसिडेंसी के गवर्नर सर जॉन मेलकॉम की याद में तैयार की गई एक खूबसूरत हवेली शामिल है जिसे माउंट मेलकॉम नाम से जाना जाता है। 

औपनिवेशिक काल की यह खूबसूरत इमारत शिल्पकला और वास्तुकला का अद्भुत और बेहतरीन नमूना पेश करती हैं। हालांकि समय के साथ इसका पुराना जादू अब खत्म हो चुका है लेकिन अपने यूनिक स्टाइल की बनावट के कारण यह अब भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। महाबलेश्वर में भगवान श्रीकृष्ण का एक मंदिर है जो स्थानीय लोगों के बीच पंचगना के नाम से मशहूर है जिसका अर्थ है पांच नदियां। इन पांच नदियों के नाम हैं कृष्णा, कोन्या, येन्ना, गायत्री और सावित्री हैं। दरअसल यह पांच नदियां महाबलेश्वर का आधार मानी जाती हैं। महाबलेश्वर के पास एक और जगह देखने योग्य है प्रतापगढ़, जो यहां से चौबीस किलोमीटर दूर है। प्रतापगढ़ का किला मराठा सम्राट शिवाजी के उन किलों में से एक हैं जिन्हें शिवाजी ने अपने निवास स्थान के तौर पर तैयार करवाया था। यह किला भारतीय इतिहास के उस दौर का भी गवाह है जब शिवाजी ने एक ताकतवर योद्धा अफजल खान को नाटकीय तरीके से मार दिया था और जहां से मराठा साम्राज्य ने एक निर्णायक मोड़ लिया। पानघाट पर स्थित यह किला छत्रपति शिवाजी के आठ प्रमुख किलों में से एक माना जाता है।