॥> महिला राजनीति का जो झंडा अमृतकौर ने उठाया वो आजादी के अमृतकाल में बुलंद होगा क्या?

सम्पादक, ग्राम परिवेश
आजादी के अमृतकाल में क्या दोनों बड़े राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस हिमाचल प्रदेश को प्रथम महिला मुख्यमंत्री देकर प्रदेश की महिलाओं को सम्मानित करने की सोच रखती है। हिमाचल प्रदेश की महिलाओं ने शिक्षा, सामाजिक कार्यों, राजनीति, कृषि, बागवानी, खेल व पर्यावरण में अपनी पहचान बनाई है। शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में बहुत आगे हैं। स्कूली शिक्षा क्षेत्र में प्रदेश की महिलाएं बहुत आगे हैं और बेहतर शिक्षक सिद्ध हुई हैं। उच्च शिक्षा व मैडिकल शिक्षा के क्षेत्र में रेडियोलॉजी, सर्जरी, ऑर्थो जैसी विशेषज्ञता में आगे आ रही हैं। पर्यावरण के क्षेत्र में हिमाचल की किंकरी देवी ने जबरदस्त काम करके खूब नाम कमाया। खेल के क्षेत्र में सुमन रावत ने एथलेटिक, रेणुका सिंह ने क्रिकेट ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर अपनी धाक जमाई है। नशा निवारण के क्षेत्र में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर कई अभियान चलाए हैं और चला रही हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा व हिमाचल प्रदेश प्रशासकीय सेवा में हिमाचल की महिलाएं आगे आ रही हैं और अपनी प्रशासकीय कुशलता का परिचय दे रही हैं। राजनीति के क्षेत्र में स्थानीय निकायों में अन्य राज्यों की तरह यह नाममात्र भूमिका नहीं निभा रही हैं बल्कि अपने अधिकारों, जिम्मेदारियों और कार्यों के निर्वहन में स्वयं निर्णय ले रही हैं।

आजादी के आंदोलन व राजनीति क्षेत्र में हिमाचल की महिलाएं पीछे नहीं रही हैं। कांग्रेस की सरला शर्मा आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए भराड़ी में जनसभा करते हुए गिरफ्तार हुई और जेल गई और आजादी के बाद राजनीति में सक्रिय रहीं और प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रही व पहली बार पद्मावती और लता ठाकुर के साथ विधायक बनने का गौरव पाया। यद्यपि 1972 से पहले भी देवेंद्र कुमारी, लीला देवी और मिसेज अमीचंद प्रादेशिक परिषद में मनोनीत सदस्य रहीं।
सरला शर्मा व सत्यवती दान को छोड़कर शुरूआत में राजघरानों की महिलाएं ही चुनावी राजनीति में सक्रिय थी जिनमें रानी अमृत कौर, चम्बा की रानी देवेन्द्र कुमारी, कांगड़ा की रानी चंद्रेश कुमारी चुनावी राजनीति में उतरती रहीं लेकिन आम परिवारों की महिलाएं राजनीति में हाथ नहीं आजमा रही है और मंत्रिमंडल में न केवल जगह बना रही हैं अपितु श्रेष्ठ कार्य कर रही हैं यहां तक मुख्यमंत्री पद के लिए भी दावा ठोंक रही हैं।
अब देखना यह है कि कांग्रेस की नेत्री सोनिया गांधी या देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो महिलाओं को शीर्ष पदों पर ला रहे हैं। आजादी के 75वें वर्ष में हिमाचल प्रदेश में पहली मुख्यमंत्री दे महिलाओं के हक को सम्मान देते है? प्रदेश की राजनीति में ऐसी बहुत सी महिलाएं है जो मुख्यमंत्री पद की पात्र हैं। कांग्रेस में प्रतिभा सिंह जो वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष व लोकसभा की सांसद हैं। दूसरी महिला आशा कुमारी हैं जो प्रदेश विधानसभा का चुनाव कई बार जीत चुकी हैं और मंत्री भी रह चुकी हंै। भाजपा में कांगड़ा से कई बार चुनाव जीत चुकी है दो बार मंत्री रह चुकी सरवीण चौधरी भी मुख्यमंत्री पद की पात्र महिला हैं। उन्होंने बार-बार मेजर विजय सिंह मनकोटिया को शाहपुर चुनाव क्षेत्र में शिकस्त दी हैं। कांगड़ा से ही इंदु गोस्वामी जो राज्य सभा की सदस्य हैं। भाजपा के महिला मोर्चा की नेत्री हैं। इनके अलावा प्रदेश में और भी बड़े नाम हैं जो मुख्यमंत्री पद के लिए पात्र हैं। प्रदेश की राजनीति में महिलाओं की राजनीति का जो सफर 1952 में अमृत कौर ने शुरू किया हैं वह देश की आजादी के अमृतकाल में शिखर पर पहुंचता है या नहीं देखना बाकी है।
साभार : ग्राम परिवेश