चालू वित्त वर्ष में गेहूं के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि

नई दिल्ली : चालू वित्त वर्ष के दौरान गेहूं के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि के बीच, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा)  ने हाल ही में शिपमेंट की व्यापक संभावनाओं वाले देशों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मूल्य श्रृंखला के प्रमुख हितधारकों की एक बैठक आयोजित की।

17 मार्च, 2022 को हुई इस बैठक में भू-राजनैतिक परिस्थितियों के मद्देनजर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी व्यवधान को कम करने संबंधी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के निर्देशों का पालन किया गया।

इस बैठक की अध्यक्षता एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम. अंगमुथु ने की और इसमें व्यापारियों, निर्यातकों, बंदरगाह के अधिकारियों, खाद्य एवं उपभोक्ता कार्य तथा रेलवे मंत्रालयों के नीति निर्धारकों और विभिन्न राज्य सरकारों के अधिकारियों जैसे प्रमुख हितधारक शामिल हुए।

इस बैठक में रेलवे ने अतिरिक्त मात्रा में गेहूं के परिवहन की किसी भी तत्कालिक मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में रैक उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। बंदरगाह के अधिकारियों को भी गेहूं के लिए समर्पित कंटेनरों के साथ-साथ समर्पित टर्मिनलों की संख्या बढ़ाने के लिए कहा गया है।

गेहूं के भरपूर उत्पादन के अनुमान के मद्देनजर एपीडा ने सभी हितधारकों को गेहूं के निर्यात की निर्बाध सुविधा प्रदान करने के लिए अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कहा है।

अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान गेहूं का निर्यात तुलनात्मक रूप से भारी वृद्धि दर्ज कराते हुए 2020-21 की इसी अवधि में 340.17 मिलियन अमरीकी डालर से 387 प्रतिशत बढ़कर 1742 मिलियन अमरीकी डालर का हो गया।

भारत ने पिछले तीन वर्षों, जिसमें चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले दस महीने शामिल हैं, के दौरान 2352.22 मिलियन अमरीकी डालर का गेहूं निर्यात किया है। 2019-20 के दौरान, गेहूं का निर्यात 61.84 मिलियन अमरीकी डालर का था जोकि 2020-21 में बढ़कर 549.67 मिलियन अमरीकी डॉलर का हो गया।

वैश्विक व्यापार में भारत भले ही शीर्ष दस गेहूं निर्यातकों में शामिल नहीं है, लेकिन निर्यात में इसकी वृद्धि दर कई अन्य देशों से आगे निकल गई है जोकि दुनिया भर के नए बाजारों तक पहुंचने के लिए इसके द्वारा तेजी से उठाए जा रहे कदमों का सबूत है।

भारत मिस्र को गेहूं का निर्यात शुरू करने के लिए अंतिम दौर की बातचीत कर रहा है, जबकि तुर्की, चीन, बोस्निया, सूडान, नाइजीरिया, ईरान आदि देशों के साथ गेहूं निर्यात शुरू करने के लिए बातचीत चल रही है।

भारत का गेहूं निर्यात मुख्य रूप से पड़ोसी देशों को होता है, जिसमें वर्ष 2020-21 के दौरान मात्रा और मूल्य की दृष्टि से बांग्लादेश की सबसे बड़ी यानी 54 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। वर्ष 2020-21 के दौरान, भारत ने यमन, अफगानिस्तान, कतर और इंडोनेशिया जैसे गेहूं के नए बाजारों में प्रवेश किया।

वाणिज्यिक जानकारी एवं सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान भारतीय गेहूं का आयात करने वाले शीर्ष दस देशों में बांग्लादेश, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, यमन, अफगानिस्तान, कतर, इंडोनेशिया, ओमान और मलेशिया शामिल थे। वर्ष 2020-21 के दौरान मात्रा और मूल्य की दृष्टि से भारत के गेहूं निर्यात में इन शीर्ष दस देशों की हिस्सेदारी 99 प्रतिशत से अधिक की रही।

गेहूं के निर्यात में यह वृद्धि एपीडा द्वारा विभिन्न देशों में बी2बी प्रदर्शनी आयोजित करने, नए संभावित बाजारों की खोज करने और भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारी के साथ विपणन अभियान शुरू करने जैसी विभिन्न पहलों के कारण हासिल हुई है।

एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम. अंगमुथु ने कहा, “हम राज्य सरकारों और निर्यातकों, किसान उत्पादक संगठनों, ट्रांसपोर्टरों आदि जैसे अन्य हितधारकों के सहयोग से अनाज के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मूल्य श्रृंखला में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर दे रहे हैं।”

गेहूं के वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम है। हालांकि, इसकी हिस्सेदारी 2016 में 0.14 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 0.54 प्रतिशत हो गई। वर्ष 2020 के दौरान गेहूं के कुल वैश्विक उत्पादन में लगभग 14.14 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

भारत सालाना लगभग 107.59 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन करता है जबकि इसका एक बड़ा हिस्सा घरेलू खपत के लिए इस्तेमाल होता है। भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और गुजरात प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य हैं।

गेहूं का इकाई मूल्य अन्तरराष्ट्रीय व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पिछले पांच वर्षों में जहां सभी देशों के गेहूं की इकाई निर्यात मूल्य में वृद्धि हुई है, भारत का इकाई निर्यात मूल्य अन्य देशों की तुलना में थोड़ा अधिक है। यह भारत से होने वाले गेहूं के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले विभिन्न कारकों में से एक है।

एपीडा भारतीय निर्यातकों को शिपमेंट संबंधी सुविधा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और उन्हें नए बाजारों में प्रवेश करने में मदद कर रहा है। निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के निर्बाध गुणवत्ता प्रमाणन को सुनिश्चित करने के लिए, एपीडा ने उत्पादों और निर्यातकों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए परीक्षण सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरे भारत में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है।

एपीडा निर्यात परीक्षण और अवशेष निगरानी संबंधी योजनाओं के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के उन्नयन और सुदृढ़ीकरण में भी सहायता प्रदान करता है। एपीडा कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचा विकास, गुणवत्ता सुधार और बाजार विकास की वित्तीय सहायता योजनाओं के तहत भी सहायता प्रदान करता है।