उच्च शिक्षा संस्थान, भारतीय नवाचार और स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को सक्षम बनाने में सहायता प्रदान करेंगे – राजकुमार रंजन सिंह

केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने ‘शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार इकोसिस्टम का निर्माण’ विषय पर आयोजित ई-संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों में भारतीय नवाचार और स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को सक्षम बनाने में सहायता प्रदान की अपार संभावनाएं हैं। इसका आयोजन शिक्षा मंत्रालय, डीपीआईआईटी, एआईसीटीई और शिक्षा मंत्रालय के नवाचार प्रकोष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। राजकुमार रंजन सिंह ने स्मार्ट इंडिया हैकथॉन पर एक फिल्म का भी शुभारंभ किया।

मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक नए और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के अपने विज़न को साझा किया है। इसे समर्थन प्रदान करने वाले इकोसिस्टम तथा हमारे नवोन्मेषकों व उद्यमियों के समर्पण और प्रयासों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य के भारत को, हमारी सर्वोत्तम परंपरा के साथ आधुनिक वैश्विक दृष्टिकोण का समन्वय स्थापित करना चाहिए।

सिंह ने आगे कहा कि हमारे देश की उच्च शिक्षा प्रणाली, सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में एक है और देश में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है। उन्होंने कहा कि हम ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखते हैं और यह हमारे शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार की भावना और उद्यमिता के बिना संभव नहीं है। मंत्री ने भारत में शैक्षणिक संस्थानों से अपनी मानसिकता बदलने और उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता का समर्थन करने वाला वातावरण तैयार करने का आग्रह किया, जिससे व्यावसायीकरण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण संभव हो सके।

राजकुमार रंजन सिंह ने उन 75 स्टार्ट-अप्स को भी बधाई दी, जिनकी पहचान शिक्षा मंत्रालय ने आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के एक भाग के रूप में की है। छात्रों और संकाय के इन 75 स्टार्ट-अप ने अभिनव तकनीकों को विकसित किया है और इनमें काफी संभावनाएं हैं। इन स्टार्ट-अप्स में से प्रत्येक को 10.00 लाख का वित्तीय समर्थन प्राप्त हुआ। इसके अलावा साझेदार एजेंसियों के सहयोग से इन्हें परामर्श और इन्क्यूबेशन सहायता भी प्रदान की जाएगी।

उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के. संजय मूर्ति ने कहा कि भारत में फिलहाल हमारे पास 2500 इनोवेशन सेल हैं और भविष्य में अतिरिक्त 5000 सेल जोड़े जाएंगे। उन्होंने बताया कि एंबेसडर कार्यक्रम के तहत 50,000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे शिक्षा-क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि यह नवाचार की संस्कृति है और इस प्रकार के आयोजन, युवाओं को आगे आने और नए विचारों व क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए प्रेरित करते हैं।

स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव अनीता करवाल ने कहा कि कैसे भारत के युवा समस्या-समाधान कौशल विकसित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों में युवा लड़कियों की बड़ी संख्या में भाग लेने की सराहना की, जो एनईपी 2020 के समान शिक्षा के विज़न की सफलता का संकेत देते हैं।

करवाल ने छोटे बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करने में नवाचार और जोखिम उठाने के कौशल के महत्व पर भी प्रकाश डाला। इस तरह की पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान, बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए उनमें वैज्ञानिक स्वभाव और तार्किक व महत्वपूर्ण सोच विकसित करने पर होना चाहिए।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी सहस्रबुद्धे ने कहा कि ई-संगोष्ठी में निवेश, परामर्श जैसी नवाचार प्रणाली के निर्माण पर प्रकाश डाला गया है और यह संगोष्ठी हमारे शैक्षणिक संस्थानों को अपने परिसर में  नवाचार इकोसिस्टम के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि नवाचार और संस्कृति का यह त्योहार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुसार आत्मनिर्भर भारत और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के सचिव अनुराग जैन तथा शिक्षा मंत्रालय के नवाचार प्रकोष्ठ के मुख्य नवाचार अधिकारी डॉ. अभय जेरे भी इस अवसर पर उपस्थित थे।