तख़्त बदल दो और रिवाज बदल दो के बीच ‘महाभारत’ शुरू

॥> कौन भेदता है जनता का चक्रव्यूह ?

मोहिन्द्र प्रताप सिंह राणा
सम्पादक, ग्राम परिवेश

30 अक्तूबर को नामांकन पत्र वापिस लेने की सीमा खत्म होते ही शिमला के सिंहासन के लिए 12 दिन के महाभारत का शंखनाद हो गया। इस 12 दिन के महाभारत में सभी राजनीतिक दल प्रदेश की जनता को भरमाने, बरगलाने, लुभाने और समझाने के लिए देश भर के छोटे-बड़े नेताओं को बुलाएंगे।

सभी दलों के यह नेता अपने-अपने प्रमाचार और शब्दों से मुग्ध करने का प्रयास करेंगे। प्रमाचारियों की व्यवहार व भाषा चुनावी हवा के रूख के साथ-साथ गिरती जाएगी क्योंकि कोई भी दल किसी भी अभिमन्यु को चक्रव्यूह (जनता) को भेदने नहीं देगा और जो भेदने में सफल होने लगेगा तो उसका अंत करने के लिए किसी भी अनैतिकता से नहीं हिचकिचाएगा। परंतु 2022 के इस महाभारत में सुखद बात यह है कि इस संग्राम के रथी, महारथी और अधिरथी की लगाम जनता के हाथ में है। इन रथियों का काम जनता को रिझाने, भरमाने या समझाने का है। देखना यह है कि कौन कितनी सफाई से जनता को रिझाता, समझाता या भ्रमित करता है।

भाजपा के प्रथम बार में अपने विगत पांच सालों का लेखा जोखा है। चुनाव के प्रथम दौर में भाजपा जन कल्याण की नीतियां हिमकेयर, जो मध्यम वर्ग के लोगों जो अपना काम करते हैं के लिए वरदान है, मुख्यमंत्री सहारा योजना, वृद्धा पैंशन की आयु कम करना और राशि बढ़ाना, गैस चूल्हा मुफ्त देना, महिलाओं की बस यात्रा का भाड़ा आधा करना, कर्मचारियों को एरियर देना आदि सफल नीतियों का पाश फैंक रही है जबकि कांग्रेस ने इसके प्रति उत्तर में जयराम सरकार में कथित रूप से फैले भ्रष्टाचार के तीर छोड़ रही है।

कांग्रेस ने भाजपा के तीन मंत्रियों के विभागों को छोड़ बाकि सभी विभागों में हुए भ्रष्टाचार की पोल अपनी चार्जशीट में खोली है। कांग्रेस मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को अकुशल, अदक्ष और नैमित्तिक (इत्तफाकन) मुख्यमंत्री कहने से भी गुरेज नहीं कर रही है।

कांग्रेस जयराम सरकार पर प्रहार करने के साथ-साथ अपनी दस गारंटियों का भी हवाला दे रही है। कांग्रेस की इन दस गारंटियों में से दो 18 वर्ष से 60 वर्ष की महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह देना व सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पैंशन बहाल करना जनता को खूब लुभा रही हैं। लेकिन कांग्रेस इन दोनों गारंटियों को कैसे लागू करेगी इसका कोई रोड मैप अभी लोगों के सामने नहीं रख सकी है।
तीसरा राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी पहाड़ चढऩे के लिए बड़े जोश-ओ-खरोश से आई थी परंतु बहुत जल्दी हांफती नज़र आ रही है। आप ने शुरूआत में मुफ्त और बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली देने का दांव खेला परंतु पहाड़ी लोग जितने सहज, सरल और सादे हैं उतने ही सजग और समझदार भी। वह यह जानते हैं हमारा शिक्षा तंत्र व स्वास्थ्य का ताना-बाना किसी भी दूसरे राज्य से बेहतर है और रही बिजली की बात तो हिमाचल समूचे उत्तर भारत को उत्पादन लागत से कम दामों पर बिजली देकर उनको रोशन कर रहा है। पहाड़ी जनता यह भी जानती है कि पंजाब ने, जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है, हिमाचल को लगभग तीन हजार करोड़ रुपया बीबीएमबी का बकाया देना है। बीबीएमबी से हिमाचल के 7.19 के हिस्से का ना मिलने में केंद्र सरकार भी जिम्मेदार है।

दोनों बड़े राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस और हांफती हुई आम आदमी पार्टी वायदे तो चांद धरती पर उतारने के कर रही हैं परंतु जमीनी मुद्दों जैसे बेरोजगार युवा की बढ़ती फौज, कृषि और बागवानी के लिए घटती जमीन, सूखती जल धाराएं और लुप्त होते जंगल व नौजवानों की फौज की नौकरियों को चतुराई से अंकुश लगाना आदि से मुंह मोड़े खड़ी है।


साभार : ग्राम परिवेश

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