मंडी: विश्व आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस का जिला स्तरीय आयोजन जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिनेश ठाकुर की अध्यक्षता में क्षेत्रीय अस्पताल मण्डी में आयोजित किया गया। डॉ. दिनेश ठाकुर ने बताया कि आयोडीन हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी सुक्ष्म पोषक तत्व है और हमारे जीवन के हर स्तर के आधार पर एक व्यस्क को हर दिन 150 माईक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता जो कि एक सूई की नोक के बराबर की औसत मात्रा की जरूरत होती है। गर्भावस्था और दूध पिलाने वाली माताओं को रोजाना 200 माईक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है। यदि शरीर में आयोडीन की कमी हो तो हमें थायराईड रोग हो सकते है क्योंकि हमारे शरीर को थायराईड हार्मोन्स का उत्पादन करने के लिए आयोडीन की आवश्यकता होता है और इसकी कमी से हमारा शरीर कई समस्याओं की चपेट में आ जाता है मौजूदा दौर में थायराईड से तमाम लोग जूझ रहे है क्योंकि कई बार लोग इन विकारों व लक्षणों को समय पर पहचान नहीं पाते।
उन्होंने बताया कि यदि अचानक वजन बढ़ जाये, थकान और कमजोरी महसूस हो, तनाव के संकेत, गर्दन के आस-पास त्वचा का रंग काला पड़े, चिन्ता, घबराहट, महिलाओं में मासिक धर्म में परिर्वतन हो तो उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए तुरन्त अपने पेशाब व रक्त की जांच करवानी चाहिए यदि समय पर जांच व उपचार नहीं करोगे तो इसके गम्भीर परिणाम जैसे गर्दन में सूजन, घैन्घा या गिल्हड़ रोग, हृदय रोग, महिलाओं में गर्भपात, बांझपन, अवसाद तथा बच्चे में मस्तिष्क का विकास रूक जाना, बौनापन, गूंगापन, बैहरापन तथा बड़ों में शारीरिक क्षमता कम, थकान, याददाश्त कमजोर, बाल झडऩा तथा त्वचा में रूखापन आदि रोग व समस्याएं पैदा हो सकती है। उन्होंने बताया कि विश्व में 1.5 अरब से अधिक लोग आयोडीन अल्पता विकार का सामना कर रहे है और भारत में 20 करोड़ लोग इस समस्या से जूझ रहे है। भारत में अभी तक 85.6 प्रतिशत लोग ही आयोडीन युक्त नमक खा रहे है इसलिए लोगों को जागरूक करके उन्हें अपने खान-पान जिसमें कम वसा वाला भोजन तथा अपने आहार में फल व सब्जियां विशेषकर हरे पत्तेदार, पालक, शकरकन्द, आलू, प्याज, मूली, समुद्री मछली, अण्डा, मीट, बै्रड, दालें तथा स्ट्राबैरी और केले आदि कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ दैनिक भोजन में शामिल करने चाहिए।
जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सोहन लाल ने बताया कि आयोडीन जमीन की उपरी सतह में होता है और हिमाचल प्रदेश पहाड़ी राज्य होने के कारण वर्षा से आयोडीन पानी में बह जाती है और हमें अपने भोजन व सब्जियों में आयोडीन प्रचूर मात्रा में नहीं मिलती इसलिए हमें आयोडीनयुक्त नमक का ही प्रयोग करना चाहिए। उसे सीलन और धूप से बचाए, खुला न छोड़े और हवा बन्द या टाईट ढक्कन वाले प्लास्टिक या शीशे बन्द डिब्बों में रखे तथा तड़का लगाने के बाद ही नमक को सब्जी में डालें नहीं तो आयोडीन नष्ट हो जाती है। उन्होंने बताया कि हमें तनावमुक्त जीवन जीना चाहिए, रोज योग व सैर करें, जंकफूड न लें तथा धूम्रपान, शराब आदि नशीले पदार्थों से बचे रहें। जिला मण्डी में आशा व स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर नमक की जांच भी कर रही है और आयोडीन के बारे में भी जानकारी दे रही है। इस कार्यक्रम में डॉ. वीरेन्द्र ठाकुर शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. मोनिका स्त्री रोग विशेषज्ञ तथा गर्भवती महिलाएं आशा कार्यकर्ताओं सहित 120 लोगों ने भाग लिया।
आयोडीनयुक्त नमक शारीरिक व मानसिक विकास के जरूरी पोषक तत्व : डॉ. दिनेश ठाकुर
