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हिंदी दिवस 2022 के अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह का संदेश

प्रिय देशवासियो !

हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर मेरी आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ।

हमारा देश दुनिया भर में सांस्कृतिक और भाषाई दृष्टि से बहुत समृद्ध है। देश की भाषाई संपन्नता को ध्यान में रखते हुए संविधान निर्माताओं ने भारत के संविधान में भाषाओं के लिए अलग से प्रावधान किया जिसमें प्रारंभ में 14 भाषाएं रखी गयी थीं और अब इस आठवीं अनुसूची में कुल 22 भाषाएं सम्मिलित हैं । भारत की सभी भाषाएं महत्वपूर्ण हैं। उनका अपना-अपना समृद्ध इतिहास है। विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ समन्वय स्थापित करते हुए हिंदी ने जनमानस के मन में एक विशेष स्थान भी प्राप्त किया है । यही कारण है कि आज़ादी के आंदोलन में अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, विनोबा भावे, आचार्य कृपलानी, काका साहेब कालेलकर, जवाहरलाल नेहरू, इन सभी ने हिंदी को संपर्क भाषा बनाकर आंदोलन की गति को बढ़ाने का प्रयास किया। ‘स्वराज’ प्राप्ति के हमारे स्वतंत्रता आंदोलन में स्वभाषा का आन्दोलन निहित ही था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 343 द्वारा संघ की राजभाषा हिंदी और देवनागरी लिपि को अपनाया । संविधान के अनुच्छेद 351 में हिंदी भाषा के विकास के लिए हमें निदेश भी संविधान ने किया है।

देशवासियो,

   माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रेरणादायक नेतृत्व में आज जब पूरा देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और प्रत्येक क्षेत्र में हम नई ऊर्जा के साथ नये संकल्प ले रहे हैं, ऐसे में यह सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि राजभाषा हिंदी को लेकर संविधान द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को हम प्राप्त करें।

   किसी लोकतांत्रिक देश में सरकारी कामकाज की भाषा तभी सार्थक भूमिका अदा कर सकती है जब देश के जन सामान्य से वो जुड़ी हो और जितने भी निर्णय लिए जाते हैं, जितनी भी नीतियाँ बनती हैं वो तभी लोकभोग्य हो सकती हैं, जब वो स्थानीय लोगों की भाषा में हों। इसी के साथ-साथ हिंदी की इन्हीं विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए 14 सितंबर 1949 के दिन हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया । इसके साथ ही राजभाषा हिंदी में आवश्यकता के अनुसार शब्दावली निर्माण, वर्तनी के मानकीकरण किए गए और सरकारी कार्यों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन की नीति अपनाई गई। राजभाषा की इस विकास यात्रा में हमने कई पड़ाव पर कर लिए हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। विगत तीन वर्षों से प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सरकारी काम-काज में हिंदी का प्रयोग अधिक हो इसके लिए गृह मंत्रालय का राजभाषा विभाग निरंतर प्रयासरत है जिससे विभिन्न मंत्रालयों / विभागों में हिंदी का काम-काज तेजी से बढ़ा है। मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि वर्तमान में गृह मंत्रालय में ज्यादातर कार्य हिंदी में किया जाता है तथा कई अन्य मंत्रालयों में भी माननीय मंत्रियों ने भी अपना अधिकांश कार्य राजभाषा हिंदी में करना शुरु किया है।

राजभाषा कार्यान्वयन  की गति तीव्र करने और समय समय पर किए गए कार्यों की समीक्षा हेतु मई, 2019 में नई सरकार के गठन के पश्चात 57 मंत्रालयों में से 53 मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समितियों का गठन किया गया है तथा इनकी निरंतर बैठकें आयोजित की जा रही हैं। देश भर में विभिन्न शहरों में राजभाषा के प्रयोग को बढ़ाने की दृष्टि से अब तक कुल 527 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया जा चुका है। विदेश में लंदन, सिंगापुर, फिजी, दुबई और पोर्ट लुई में भी नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है। राजभाषा कार्यान्वयन  को और मजबूत करने की दिशा में संसदीय राजभाषा समिति अपनी सिफारिशों के ग्यारह खंड माननीय राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत कर चुकी है।

राजभाषा विभाग द्वारा 13-14 नवंबर, 2021 को बनारस में पहला अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन तथा नई दिल्ली में केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग के अधिकारियों के लिए पहला तकनीकी सम्मेलन आयोजित किया गया। इन कार्यक्रमों से हिंदी प्रेमियों में उत्साह की अपार वृद्धि हुई है। यह और भी सुखद है कि हिंदी दिवस-2022 तथा द्वितीय अखिल भारतीय राजभाषा  सम्मेलन का ऐतिहासिक आयोजन गुजरात के सूरत शहर में हो रहा है।

   गृह मंत्रालय का राजभाषा विभाग सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग की दिशा में निरंतर प्रयत्‍नशील है। राजभाषा विभाग ने स्मृति आधारित अनुवाद प्रणाली ‘कंठस्थ’ का निर्माण और विकास किया है जिसमें लगभग 22 लाख वाक्य शामिल किए जा चुके हैं। इस टूल का प्रयोग सुनिश्चित कर सरकारी कार्यालयों में अनुवाद की गति एवं गुणवत्ता बढ़ाई गई है। राजभाषा विभाग द्वारा जन-साधारण के लिए ‘लीला हिंदी प्रवाह’ मोबाइल ऐप तैयार किया गया है जिसे अपनाकर 14 विभिन्न भाषा-भाषी अपनी-अपनी मातृभाषाओं से निःशुल्क हिंदी सीख सकते हैं। राजभाषा विभाग के ‘ई- महाशब्दकोश’ में 90 हज़ार शब्द सम्मिलित किये गए हैं और ‘ई-सरल’ हिंदी वाक्यकोश में 9 हज़ार वाक्य शामिल हैं।

     माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश को नई शिक्षा नीति मिली जिसमें मातृभाषा में शिक्षा देने को प्राथमिकता दी जा रही है । राजभाषा विभाग ने अमृत महोत्सव के अवसर पर विधि, तकनीकी, स्वास्थ्य, पत्रकारिता तथा व्यवसाय में भारतीय भाषाओं के प्रचलित शब्दों को शामिल करते हुए हिंदी से हिंदी ‘बृहत शब्दकोश’ के निर्माण पर भी काम शुरू किया है और सुलभ संदर्भ के लिए एक अच्छे शब्दकोश का सृजन किया जा रहा है। इस तरह की उन्नत शब्दावली प्रशिक्षण, अनुवाद तथा शीघ्रता से ग्रहण करने में भाषा की जानकारी की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होगी।

   हजारों वर्षों से भारतीय सभ्यता की अविरल धारा हमारी भाषाओं, संस्कृति और लोकजीवन में सुरक्षित रही है। भारत में स्थानीय भाषाओं का योगदान हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए अतुलनीय रहा है। इन भाषाओं ने हिंदी को समृद्ध किया है। हिंदी उन समस्त भारतीय भाषाओं की मूल परंपरा से है जो इस देश की मिट्टी से उपजी हैं, यहीं पुष्पित और पल्लवित हुई हैं और जिन्होंने अपनी शब्द-संपदा, भाव संपदा, रूप, शैली और अपने पदों से हिंदी को लगातार समृद्ध किया है। राजभाषा हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की प्रतिस्पर्धी नहीं हैं बल्कि उसकी सखी है और हमारी सभी भाषाओँ का विकास एक दूसरे के परस्पर सहयोग से ही संभव है।

   प्रिय देशवासियो ! हिंदी दिवस के इस अवसर पर मैं आप सभी का आह्वान करता हूँ कि आप और हम मिलकर यह संकल्प लें कि अपनी भाषाओं पर गर्व की अनुभूति हम करेंगे। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी देश-विदेश के मंचों पर हिंदी में उद्बोधन देते हैं जिससे सभी हिंदी प्रेमियों में उत्साह का संचार होता है। आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और माननीय प्रधानमंत्री जी के प्रतिभाशाली नेतृत्व में आने वाले 25 वर्षों को देश में अमृतकाल के रूप में मनाया जा रहा है। ऐसे में भाषाई समरसता को ध्यान में रखते हुए हिंदी तथा हमारी सभी भारतीय भाषाओं का विकास अत्यंत आवश्यक है।       

   आइये, आज संकल्प लें कि दैनिक कार्यों में, कार्यालय के कामकाज में अधिक से अधिक काम हिंदी तथा स्थानीय भाषाओं में करकर दूसरों के लिए भी अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करें और हमारी युवा पीढ़ी को भी इस रास्ते पर ले जाएं।

हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर आप सभी को पुनः मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

   वंदे मातरम!