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डीएसटी को जलवायु परिवर्तन जैसी नई व उभरती चुनौतियों से निपटने में योगदान करने वाले सभी क्षेत्रों में निवेश करने की जरूरत है : सचि

नई दिल्ली : विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सविच डॉ. एस चंद्रशेखर ने डीएसटी के 52वें स्थापना दिवस समारोह में आज कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के 51 साल में यह आत्मचिंतन करने का अवसर है कि विभाग ने अब तक कितनी उपलब्धि हासिल की है और आगे का रास्ता कैसे तय करना है।

डीएसटी सचिव ने बताया, ‘‘डीएसटी की स्थापना देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान के वित्तपोषण के लिए एक वैज्ञानिक मंच बनाने के लिए की गई थी। बाद में शोध के अनुवाद को भी अधिदेश में शामिल किया गया। विभाग अनुसंधान एवं विकास और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अनुवाद के समर्थन के माध्यम से देशभर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समन्वय में सफल रहा है। यह महामारी पर काबू पाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का योगदान करने में सफल रहा। हालांकि, नई चुनौतियाँ सामने आ रही हैं, और विभाग को इन चुनौतियों का सामना करने में देश की मदद करने के लिए खुद को तैयार करना होगा।’’
वैश्विक जलवायु परिवर्तन की चुनौती का उदाहरण देते हुए डॉ. चंद्रशेखर ने कहा कि डीएसटी को उन क्षेत्रों में निवेश करने की आवश्यकता है जिनका ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में योगदान है। उन्होंने कहा, ’’हमें चुनौतियों के प्रति अधिक समझदार, अधिक जागरूक होने और टिकाऊ होने वाली सर्वोत्तम प्रौद्योगिकी विकसित करने की आवश्यकता है। हमें अपने काम को बेहतर से बेहतर तरीके से कैसे करना है, इस बारे में अपना होमवर्क करने की जरूरत है।’’

डॉ. चंद्रशेखर ने सभी प्रभागों और स्वायत्त संस्थानों, इंस्पायर (इंस्पायर्ड रिसर्च के लिए विज्ञान की खोज में नवाचार) और अन्य कार्यक्रमों के प्रयासों की सराहना की, जिनमें विभिन्न स्तरों पर छात्रों, शोधकर्ताओं, विद्वानों और संकाय, अनेक लोगों के जीवन पर असर डालने वाले महिला कार्यक्रम, प्रतिभाओं को आकर्षित करने में मदद करने वाली एसईआरबी और अनेक लोगों के फायदे के लिए अनुसंधान और विकास एवं विचार का अनुवाद करने में मदद करने वाली टीडीबी से ’प्रेरित’ हितधारक शामिल हैं।

डीएसटी सचिव ने जोर देकर कहा, ‘‘हमें एक ऐसे क्षेत्र में काम करने का सौभाग्य मिला है जिसका प्रभाव शाश्वत और सर्वव्यापी है। यहां तैयार किए गए वैक्सीन और विकसित प्रौद्योगिकी का दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उपयोग हो सकता है। इसलिए हमें उन विधियों के बारे में सोचने की जरूरत है जो हमें अधिक प्रभावी तरीकों से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में मदद कर सकते हैं।’’
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने डीएसटी को मातृ विभाग के रूप में रेखांकित करते हुए कहा कि दोनों विभागों के लिए यह आवश्यक है कि दोनों समन्वय के साथ काम करें और उन क्षेत्रों में काम करें जहां वे एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं।

क्रिकेट से लेकर संगीत, प्रश्नोत्तरी और कविता तक की विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विभाग के कर्मचारियों को पुरस्कार वितरित किए गए। क्रिकेट टूर्नामेंट के विजेताओं को डीएसटी की स्वायत्त संस्था, नेक्टर द्वारा तैयार एक क्रिकेट बैट और विकेट प्रदान किए गए।

वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. अखिलेश गुप्ता, विश्वजीत सहाय, अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार, सुनील कुमार, संयुक्त सचिव, डॉ. निशा मेंदीरत्ता, प्रमुख जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम और वाइज-किरण डिवीजन ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जिसमें डीएसटी के अधिकारियों के साथ-साथ स्वायत्त संस्थानों के निदेशकों ने भी भाग लिया।