भारती कुठियाला केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड में सदस्य हुईं नियुक्त

॥> भारती कुठियाला को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड में सदस्य नियुक्त होने पर राज्यपाल ने दी बधाई

शिमला : भारती कुठियाला को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड में सदस्य नियुक्त होने पर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बधाई दी है। भारती कुठियाला ने आज राजभवन में राज्यपाल से भेंट की। इस दौरान उनके साथ हिमसिने सोसाइटी के कोषाध्यक्ष अनुज पंत एवं सदस्य कपिल शर्मा भी मौजूद रहे।
हिमसिने सोसाइटी के सदस्य और रंगकर्मी कपिल शर्मा ने राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर को अवगत कराया कि हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व का विषय है कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी महिला का नाम केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के लिए नामित किया गया है।
भारती कुठियाला ने बताया कि उनका ध्येय और उद्देश्य भारतीय संस्कृति, भारतीय आचार विचार, जीवन मूल्यों को सिनेमा के माध्यम से पुन: स्थापित करना है, हिमाचल प्रदेश में उनकी संस्था हिम सिने सोसाइटी सामाजिक सरोकार, भारतीय संस्कृति के साथ-साथ हिमाचली लोक जीवन को उजागर करती है। सिनेमा और कला जगत से जुड़े सभी इच्छुक और उत्साहित कलाकारों को सिनेमा निर्माण कला के प्रति उत्साह पैदा करना तथा हिमाचल में युवाओं को फिल्म निर्माण के लिए प्रेरित करना भी हिमसिने सोसायटी का लक्ष्य है।
राज्यपाल ने भारती कुठियाला को केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का सदस्य बनने पर शुभकामनाएं और बधाईयां दीं और भविष्य में फिल्म से जुड़े विषयों पर भारती कुठियाला और हिम सिने सोसायटी के कार्यकर्ताओं को और लगन तथा प्रभावी तरीके कार्य करने की प्रेरणा दी।
गौरतलब है कि भारती कुठियाला रंगमंच की बाल कलाकार रही हैं। उन्होंने वर्ष 1980 से लेकर 1988 तक शिमला शहर में रंगमंच की गतिविधियों में अपने दमदार अभिनय से तालियां बटोरने वाली भारती ने मैं से मैं तक, पोस्टर, बुद्धु का कांटा, गोदाम, सोया हुआ जल से नाटकों के मंचन में अहम भूमिका अदा की। यहां तक कि श्रीराम सेंटर और जम्मू में भी थियेटर किया।
साहित्यिक पृष्ठभूमि होने के कारण बचपन से ही भारती नामी साहित्यिक पत्रिकाओं दिनमान, धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, सारिका व हिमप्रस्थ की नियमित पाठक रही हैंं। उनकी कई साहित्यिक रचनाएं और लेख विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। राज्य स्तरीय गुलेरी जयन्ती कहानी प्रतियोगिता में उन्हें तीसरा स्थान हासिल हुआ है। कविता, कहानी, नाटक, लेख विधा में उनकी मजबूत पकड़ है।

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