ऋषिकेश : राष्ट्र निर्माण में राजभाषा के व्यापक विकास के परिप्रेक्ष्य में टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर.के. बिश्नोई ने सूचित किया कि नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास), हरिद्वार की 36वीं अर्धवार्षिक बैठक का आयोजन बीएचईएल, हरिद्वार के स्वर्ण जयंती हॉल में सम्पन्न हुआ। बैठक की अध्यक्षता नराकास, अध्यक्ष एवं टीएचडीसीआईएल के निदेशक (कार्मिक) शैलेन्द्र सिंह ने की।

विश्नोई ने बताया कि भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग सरकारी स्तर पर हिन्दी को पूर्ण रूप से अपनाए जाने के लिए प्रयासरत है और इसके लिए यह समय-समय पर अनेक दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं जिनका पालन संस्थानों में हर स्तर पर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज में हिन्दी को पूरी तरह से लागू करने के लिए राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया है और इस समय देश भर में 528 समितियां इस दिशा में कार्य कर रही हैं। ये समितियां नगर में स्थित संस्थानों को अपनी कठिनाईयों के बारे में चर्चा करने के लिए एक खुला मंच प्रदान करती है। राजभाषा हिन्दी का विकास न केवल देश को एक सूत्र में बांधता है, बल्कि राष्ट्र की संस्कृति, जीवनशैली और समग्र आर्थिक विकास में भी मदद करता है।

कार्यक्रम में सर्वप्रथम समिति के अध्यक्ष निदेशक (कार्मिक) शैलेन्द्र सिंह, कार्यपालक निदेशक (मा.सं.) बीएचईएल, प्रवीण चन्द्र झा, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सहायक निदेशक, अजय कुमार चौधरी एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। बैठक में नराकास सचिव, पंकज कुमार शर्मा ने नराकास हरिद्वार द्वारा आयोजित गतिविधियों एवं राजभाषा से संबंधित नवीनतम जानकारियों से सभी को अवगत कराया। राजभाषा हिन्दी की प्रगति की अर्धवार्षिक रिपोर्टों की समीक्षा सहायक निदेशक (राजभाषा), भारत सरकार अजय कुमार चौधरी द्वारा की गई। इसके उपरांत चर्चा सत्र का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित सदस्य संस्थानों के प्रमुख एवं प्रतिनिधियों ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिया। बैठक में हरिद्वार, रूड़की, ऋषिकेश एवं पर्वतीय क्षेत्र में स्थित सदस्य संस्थानों के प्रमुखों एवं प्रतिनिधियों एवं राजभाषा अधिकारियों ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया।
समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह ने अपने सम्बोधन में सभी सदस्य संस्थानों के प्रमुखों एवं प्रतिनिधियों का स्वागत किया तथा बैठक के आयोजक संस्थान बीएचईएल हरिद्वार के बैठक के सफल आयोजन हेतु आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया। शैलेन्द्र सिंह ने अपने सम्बोधन में संसदीय राजभाषा समिति की दूसरी उपसमिति द्वारा मई माह में की गई राजभाषा निरीक्षण की जानकारी दी, जिसमें हरिद्वार नराकास के कुछ संस्थान भी शामिल थे। इस अवसर पर शैलेन्द्र सिंह ने संसदीय राजभाषा समिति की प्रश्नावली भरने पर संगोष्ठी आयोजित करने का महत्वपूर्ण सुझाव भी दिया।
इस अवसर पर शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि हमें अपने-अपने संस्थानों के अन्य कार्यों के साथ ही राजभाषा विभाग, भारत सरकार द्वारा सौंपे जाने वाले राजभाषा कार्यान्वयन के दायित्वों को सहर्ष स्वीकार करते हुए राजभाषा हिन्दी के प्रतिशत को शतप्रतिशत तक प्राप्त करना है तथा इस लक्ष्य को प्राप्त करने में नराकास के इस प्रकार के मंच बहुत अधिक सहायक हो सकते हैं। उन्होंने सभी संस्थानों के प्रमुखों से अनुरोध किया कि नराकास की अर्धवार्षिक बैठकों में संस्थान प्रमुखों की उपस्थिति अनिवार्य है इसे अवश्य ही ध्यान में रखना चाहिए तथा राजभाषा विभाग द्वारा भी इस पर विशेष जोर दिया जा रहा है।